Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Nishi Bhatt

Abstract Romance

4.6  

Nishi Bhatt

Abstract Romance

देवभूमि

देवभूमि

1 min
281


कैसे यकीन करूँ अपनी उस किस्मत पर, जो आज तू मिला है ऐसे,

जिसकी बरसों से तलाश थी इस दिल को ! 

कैसे यकीन करूँ खुद पर जहाँ मुस्कुराना ही भूल गए थे,

वहाँ कभी इतनी खुशियां एक साथ भी मिल सकती हैं !

कैसे यकीन करूँ उस रब पर, जिनसे हमेशा शिकायत रही,

क्या इस दुनिया में न्याय नहीं होता ? 

कैसे यकीन न करूँ आज उस फ़रिश्ते पर,

जिसने इस दिल के हर एक दर्द को समझा और उसे अपने प्यार से सींचा !

कैसे यकीन करूँ हर उस एक लम्हे पर,

जो सिर्फ और सिर्फ तूने महसूस करवाया ! 

कैसे यकीन करूँ इस दिल पर, कि, आज वो शख्स ज़िंदगी में आ चूका है,

जिसने इस दिल को अपनी आत्मा में बसाया ! 

कैसे यकीन करूँ आज खुद पर,

जिसने इस चेहरे पर हमेशा से सिर्फ एक ही चीज़ चाही -

इस चेहरे पर मुस्कुराहट !  

      

हे कान्हा ! आज आपने ये साबित कर दिया,

आप अपनी बच्ची के साथ हमेशा से थे,

पर शायद, वही आपको समझ नहीं पायी ! 

     

                                                       

( सच - तेरे घर देर है, अंधेर नहीं !) 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract