देवभूमि
देवभूमि
कैसे यकीन करूँ अपनी उस किस्मत पर, जो आज तू मिला है ऐसे,
जिसकी बरसों से तलाश थी इस दिल को !
कैसे यकीन करूँ खुद पर जहाँ मुस्कुराना ही भूल गए थे,
वहाँ कभी इतनी खुशियां एक साथ भी मिल सकती हैं !
कैसे यकीन करूँ उस रब पर, जिनसे हमेशा शिकायत रही,
क्या इस दुनिया में न्याय नहीं होता ?
कैसे यकीन न करूँ आज उस फ़रिश्ते पर,
जिसने इस दिल के हर एक दर्द को समझा और उसे अपने प्यार से सींचा !
कैसे यकीन करूँ हर उस एक लम्हे पर,
जो सिर्फ और सिर्फ तूने महसूस करवाया !
कैसे यकीन करूँ इस दिल पर, कि, आज वो शख्स ज़िंदगी में आ चूका है,
जिसने इस दिल को अपनी आत्मा में बसाया !
कैसे यकीन करूँ आज खुद पर,
जिसने इस चेहरे पर हमेशा से सिर्फ एक ही चीज़ चाही -
इस चेहरे पर मुस्कुराहट !
हे कान्हा ! आज आपने ये साबित कर दिया,
आप अपनी बच्ची के साथ हमेशा से थे,
पर शायद, वही आपको समझ नहीं पायी !
( सच - तेरे घर देर है, अंधेर नहीं !)