एक कविता तुम्हारे लिए
एक कविता तुम्हारे लिए
तुम कहो तो बोले हम,
किस्सा एक सुनाना था,
तुमको कुछ बताना था,
देखकर तुम्हारी आंखों को,
आंखों से बात करता था,
एक कविता तुम्हारे लिए,
तुम कहो तो बोले हमI
जागते सोते हर ख्यालों में,
लंबी गहरी हर खामोशी में,
खामोशी में जवाब ढूंढता था,
चंद कदमों के उजालों में,
एक कविता तुम्हारे लिए,
तुम कहो तो बोले हमI
इल्ज़ाम तुम हमें देते रहे,
यादों को हमारी भूलते रहे,
हम भी कहाँ कम थे ,
तुम्हारे हर इल्ज़ाम को हमने,
सर आंखों पर बिठा दिया,
एक कविता तुम्हारे लिए,
तुम कहो तो बोले हमI
कभी करते रहे इंतजार,
कभी रातों को करवटें बदलते रहे,
झूठी उम्मीद पर भी मुस्कुरा कर,
इतंजार तुम्हारा करते रहे,
एक कविता तुम्हारे लिए,
तुम कहो तो बोले हम।
तन में तुम मन में तुम,
मेरी हर श्वास में तुम,
अक्षर में तुम शब्द में तुम,
हर प्रश्न के उत्तर में तुम,
एक कविता तुम्हारे लिए,
तुम कहो तो बोले हम।