एक खत कान्हा के नाम...
एक खत कान्हा के नाम...
फिर एक दफा,
तुमको सुनूँ,
फिर इक दफा,
तुमको देखूँ,
इस उम्मीद से,
जिंदगी,
इस उम्मीद से,
ये बंदगी।।
उन आँखों ने,
मेरी सुकूं,
छीना मुझसे,
मेरी हर जुनूँ,
मुझे खुदा,
बस बनना है यूँ,
के उन बांहों में,
इक दफा,
खुदको लिखूं।।
बंद नैना जिन्हें,
देख लेते हैं,
मिलों की दूरि से,
जिसे धड़कन,
पढ़ लेते हैं,
जन्मों की क्या धागे एसे भी होते हैं,
क्या हर जन्म हम तुमसे मिलने को तरसते हैं।।

