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Amit Kumar

Abstract

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Amit Kumar

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एक ही तो है

एक ही तो है

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सपना मेरा छोटा सा है

कोई कोना हो मेरा

दिल के कोने में तुम्हारे

भले ही वो फिर


न होने के बराबर ही रहे

बस तुम्हारे दिल के

किसी कोने में

यही हसरत है जो

छूटती नहीं है


कहानी अधूरी भले ही है

मग़र भूलती नहीं है

आईना भी सच कहता है तुमसे

मेरा ईमान कभी डोलता नहीं है।


यह हिरनी सी मधुमती आंखें

जाने कबसे मेरे अंतर्मन में

तुम्हारा ही अक्स बनकर रही है


जो बातें कभी

कही नहीं तुमने मुझसे

वो सारी बातें

इन्होंने मुझसे कही है।


यह जानती है तुम्हारा

मेरे लिए होना

जैसे सांसों का

ज़िस्म में होना

यह खूबी इन्हीं की है

जो मैं तुम्हें चाहता हूँ

बात बस इतनी सी है।


मैं तुम्हारे अक्स में

अपना अक्स देखता हूँ

तुम मैं ही हूँ

और मैं तो तुम्हारा ही हूँ।


कहाँ अलहदा है

हम एक ही तो है।


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