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Neha anahita Srivastava

Abstract Romance Classics

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Neha anahita Srivastava

Abstract Romance Classics

एक ही शख़्स से इश्क़ हो जाता है बार-बार,

एक ही शख़्स से इश्क़ हो जाता है बार-बार,

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इश्क़ में ऐसा होता है कई बार,

एक ही शख़्स से इश्क़ हो जाता है बार-बार,

गुल दे हमें जब वो चुनते जाते हैं हमारी राहों के खार

खातिर हमारी ख़ुदा के दर पर जब वो‌ सिर झुकाते हैं बार-बार


हमारी हर बात पर जब उन्हें हो जाता है एतबार,

न दिखे हम इक पल तो जब दिल हो जाता है उनका बेज़ार,

ख़्वाब हमारी आंखों के उनकी पलकों पर जब लेते हैं आकार,

मुस्कुराते हैं जब बेइंतेहा, छुपाकर दिल में ग़म हजार,


हमारी ही खुशी, हमारे ही ख़्वाबों में सिमट जाता है जब उनका संसार,

बिखर जायें तो जब सँभाल लेते ‌हैं वो हमें ‌हर बार,

मासूम सी उनकी इन अदाओं पर हमें आ जाता है बेइंतेहा प्यार,

साहिब,इश़्क हो जाता है उनसे फिर से एक बार


क्योंकि इश्क़ में ऐसा होता है कई बार,

एक ही शख़्स से इश्क़ हो जाता है बार-बार।


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