एक गिलहरी
एक गिलहरी
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बड़े सबेरे मेरे आंगन
एक गिलहरी आती
किट किट कुट कुट
किट किट कुट कुट
अपने दांत बजाती।
उसी समय सारी गौरैया
चूं चूं करती आती
नहीं दिया क्यूं दाना पानी
फ़ुदक फ़ुदक सब गातीं।
झुंड कई चिड़ियों का भी
अपने संग वो लातीं
ढक्कन में पानी पड़ते ही
सब मिल खूब नहाती।
चावल के दाने मिलते ही
बड़े प्रेम से खातीं
शाम को फ़िर आयेंगे हम सब
कह कर के उड़ जाती ।