एक भीड़ है
एक भीड़ है
सौ लोग मिलते हैं
एक आदमी के जिस्मों
को नोच खाते हैं
क्यों ? किसलिए ?
सही या गलत
इसका फैसला अदालत करे,
वो हज़ार, सौ, दस-बीस
आदमी नहीं एक भीड़ है
जिसका न कोई जात है
न कोई मज़हब
ये एक से दो, दो से दस
दस से सौ ,सौ से हज़ार बनते गए,
इस तरह तैयार हुआ
एक भीड़तंत्र
इसकी शुरुआत हुई या
की गई होगी किसी
एक आदमी के द्वारा
वो एक आदमी कौन था ?
वो एक आदमी
हम थे और आप थे!