STORYMIRROR

VIVEK ROUSHAN

Tragedy

4  

VIVEK ROUSHAN

Tragedy

एक भीड़ है

एक भीड़ है

1 min
211

सौ लोग मिलते हैं 

एक आदमी के जिस्मों 

को नोच खाते हैं

क्यों ? किसलिए ?

सही या गलत 

इसका फैसला अदालत करे,

वो हज़ार, सौ, दस-बीस 

आदमी नहीं एक भीड़ है 

जिसका न कोई जात है 

न कोई मज़हब 

ये एक से दो, दो से दस 

दस से सौ ,सौ से हज़ार बनते गए,

इस तरह तैयार हुआ 

एक भीड़तंत्र 

इसकी शुरुआत हुई या 

की गई होगी किसी 

एक आदमी के द्वारा 

वो एक आदमी कौन था ?

वो एक आदमी 

हम थे और आप थे!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy