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Madhu Gupta "अपराजिता"

Tragedy

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Madhu Gupta "अपराजिता"

Tragedy

"एक बच्चा "

"एक बच्चा "

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मैं रास्ते के एक छोर पर खड़ी

दूर एक बच्चे को निहारती 

जो चुपचाप खड़ा 

अपनी आँखों को चारों ओर घुमा रहा था

किसी चीज की तलाश में 

फटी कमीज़ और गंदा हांफ नेकर पहने 

सूखे होंठ और आँखें सूनी 

मैं दूर खड़ी उसे देखती 

उसके मन के भावों को पढ़ने की कोशिश में 

तभी उस बच्चे की नज़र 

पास रखें कूड़े के डिब्बे पर जाती है 

और वह लड़का 

तब अपना हाथ

उस कूड़े के डिब्बे में डालता है 

एका एक उसकी आँखों में चमक दौड़ जाती हैं 

उसके हाथ एक कागज की थैली लगती है 

वह उसे अपने हाथों से उठाकर 

खोलने का प्रयास करता है 

तभी एक बर्गर का टुकड़ा 

उस थैली में रखा मिलता है 

लड़के की आँखें खुशी से छलक उठती हैं 

वो जैसे ही उस टुकड़े को

अपने महुँ में रखने को हाथ बढ़ाता है

पास खड़ी एक छोटी बच्ची

शायद उसकी छोटी बहन 

उसका शर्ट खींचती हैं

उसका हाथ तभी

बही का बही रुक जाता है

उस बच्ची के बाल बिखरे

और आँखों से आंसू बह रहे हैं

तभी उस लड़के के 

मन में द्वंद खड़ा हो उठता है

क्या ख़ुद खाऊं या पास खड़ी बहन को दूं 

कुछ सेकिंड सोचने के बाद  

एका- एक वह बड़ा बन जाता है

अपने हाथ का बर्गर 

जो दोनों के लिए जरूरी था 

अपनी बहन की तरफ बढ़ा देता है

और फ़िर उस बहिन की ऊँगली थाम

आगे निकल जाता है

किसी और कचरे के डिब्बें की तलाश में!!?? 

मैं खामोश और निशब्द सी खड़ी

दूर होते हुए उन बच्चों को देखती.....??

 


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