एक अहम हिस्सा हूँ
एक अहम हिस्सा हूँ
उनमें वीरानी और
कुछ भटकती आत्माएं निवास करती हैं
उनके रुदन से सन्नाटा स्वयं को चीरता हुआ
दीवारों को पारकर ,
किवाड़ों को खड़खड़ाते हुए
बाहर की ओर भागता है और
विवश कर देता है अपने सूनेपन पर
सबको सोचने के लिए..
मैं भी उसी वीरानी का एक अहम हिस्सा हूँ.!!
