एहसास मेरे मन के
एहसास मेरे मन के
वक्त वक्त की बात है
हम कहते थे तुम न सुनते थे
वक्त नें अब कह दिया है
हम सभी अब सुन रहे हैं
नादानियां हमारी ही
हमी पर हो भारी जाएँगी
कहकहे का कहकहा है
कौन किसको सुनता भला
एहसासों की बात है
हमने किया तुमने किया
पकड़ कर जिसने रखा
उसमें ही वो जा बसा
जीवन का कठिन चक्र यह
समझ समझके जो चला
दौर कितने निकलते गए
वह नहीं डिगा वह नहीं डिगा
आओ हम जी लें एहसासों को
फर्ज को भी निभा जरा
कल किसने देखा है यहाँ
कब मैं गिरा कब जग गिरा।।
