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Taj Mohammad

Abstract Tragedy Action

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Taj Mohammad

Abstract Tragedy Action

मेरा तो फ़र्ज़ था।

मेरा तो फ़र्ज़ था।

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हर नज़र शिकारी है तुम बचाना अपने आपको।

बोलने सुनने से पहले समझ लेना सारी बात को।।1।।


यह तो कारवां है आते-जाते अनजान लोगों का।

हमसफर ना बना लेना यूँ हर किसी के साथ को।।2।।


कहाँ मिलते है ताज अब यूँ अच्छे रूह के लोग।

हर नज़र ही घूरती है यहां पर हुस्न ए शबाब को।।3।।


तेरी ये आदत है यूँ ही सबसे मिलने मिलाने की।

लोग ग़लत समझते है यहां पर खुले मिज़ाज को।।4।।


ये सारी महफिलें है दौलतमंदों की कोठियों की।

इज़्ज़त मिलती है यहां अमीरों की औकात को।।5।।


बनावटी चेहरे है जाना ना इनके हाव-भाव पर।

बेचा-खरीदा जाता है यहां इंसानी जज़्बात को।।6।।


नशे का सुरूर है हर कोई लगेगा तुझे यूँ अपना।

ऐसे ही मुंह ना लगा लेना किसी भी मेहमान को।।7।।


अक़ीदा ना करना किसी भी खुश मिज़ाजी पर।

शैतान बनते देर ना लगती है यहाँ के इंसान को।।8।।


लूटने के बाद गिला शिकवा यहां पे ना होता है।

कोई भी ना सुनेगा तेरी किसी भी फरियाद को।।9।।


बुरा ना मानना तुम मेरे इस तरह से बताने को।

मेरा तो फ़र्ज़ था बस बताना हर सही बात को।।10।।



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