Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Sumit. Malhotra

Abstract Action

4  

Sumit. Malhotra

Abstract Action

कलयुग में डर लगता

कलयुग में डर लगता

1 min
248


सच में अब कलयुग में डर लगता बहुत ज़्यादा, 

इंसानी भेष में शैतान और हैवान बहुत ज़्यादा। 


नारियों का तो मुश्किल हुआ था पहले ही जीना, 

अब तो पुरुषों का भी मुश्किल हो गया है जीना। 


संसार पर दया दृष्टि बनाये रखना सदा भगवान, 

अंत करो संसार से चाहे शैतान हो या वे हैवान। 


पाप का घड़ा नहीं अब तो ड्रम तक है भर गया, 

कलयुग में बहुत ज़्यादा हो गए हैवान व शैतान।


त्रेता युग में राम जी का अवतार लेकर धरती पर, 

द्वापर युग में कृष्णा का अवतार लेकर धरती पर। 


पापी लंकेश्वर रावण ने घनघोर पाप तो किया था, 

राजा कंस ने बहुत पाप और अत्याचार किया था। 


राम का अवतार लेकर रावण पापी का अंत किया, 

कृष्ण का अवतार लेकर कंस पापी का अंत किया।


ज़िंदगी कभी अजब पहेली तो कभी सहेली हुई, 

ख़ामोश ज़िन्दगी हमारी भी कुछ अजीब हुई। 


होनी हो या अनहोनी हो चाहे तो भी मत डरना, 

ज़िंदगी हमारी कभी धूप कभी छाँव तो हमें लड़ना। 


कुछ अपने या पराये चेहरे पर चेहरे लगाते सदा, 

घनघोर कलयुग में कोई भी भरोसेमंद तो ना सदा। 


अपनी परछाई से भी बहुत ज़्यादा डरा करते है, 

कुछ अपने या पराये ख़यानत ही करा करते हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract