रात के हाशिए से सूरज उगता है
रात के हाशिए से सूरज उगता है
जीवनयुद्ध में हारते हैं तो कभी जीत जाते हैं ,
लेकिन जिंदगी का क्रम सतत चलता रहता है!
इंसान कितना भी स्वावलंबी बन जाएं लेकिन ,
अकेले रहना हरेक इंसान को बहुत खलता है!
दुःख से गुज़रता है हर कोई पल-पल यहां पर,
कालचक्र इस सृष्टि का अथक चलता रहता है !
मायूस होकर रूकना ना कभी दुर्गम राहों पर ,
संघर्ष के बाद ही जीत का परचम लहराता है !
हर वक्त एक जैसा नहीं होता इस संसार में ,
कभी धूप, छांव तो बारिश का मौसम आता है!
दिन में सूरज की रोशनी तो रात में चाँदनी है ,
उसी तरह पतझड़ के बाद ही बसंत आता है !
हौसला रख बुलंद, विश्वास को टूटने न देना ,
टेढ़े- मेढ़े रास्ते पर भी अगर चलना आता है !
अपनों का संग सफर को सरलतम बनाता है ,
ज़ब टूटता है यकीं तभी इंसान टूट जाता है !
हर कोशिश कभी किसीकी होती नहीं नाकाम,
यूँ ही होता नहीं,जीवन में यहां किसी का नाम!
परिश्रम से इंसा कामयाबी के शिखर चढ़ता है,
अंधेरी रात के हाशिए से ही सूरज़ जनमता है !