एहसास की बारिश
एहसास की बारिश
हर बार तुम्हें
कस कर थामा
हर बार तुम
हथेली से फिसल गई..
तुम्हें मुट्ठी में भी कैद किया
पर जब खोला,
जाने किधर गयी
बूँद-बूँद तेरा,
एहसास बरसता रहा
और, मैं बूँद-बूँद ही
तरसता रहा..
किस-किस को
कैद करता 'जाना'
हर बूँद में
तुम्हारी ही परछाई थी
आज तुम
बारिश बनकर आयी थी..