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Ajay Singla

Tragedy

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Ajay Singla

Tragedy

दुविधा

दुविधा

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भाई को छोटी सी लड़की

लड्डू अपना दे रही थी

शायद दोनों जुड़वां थे

शकल दोनों की एक सी थी।


पांच साल की थी जब वो

स्कूल थी वो जाने लगी,

दस साल की हो गयी जब

माँ का हाथ बटाने लगी ।


पढ़ाई में भाई से कुछ

ज्यादा ही होशयार थी वो

क्लास में थी फर्स्ट आती

सबका लेती प्यार थी वो ।


ग्रेजुएशन भाई ने थी कर ली

उसने क्लास में टॉप किया

भाई का वीजा लगा और

बाहर उसको भेज दिया।


मम्मी से जब उसने पूछा

पढ़ने का मेरा भी मन है

मम्मी बोली, अब शादी होगी

बेटी तो पराया धन है।


शादी हो गयी थी उसकी

सास ससुर अच्छे थे,

पति प्यार करने वाला

अब उनके भी बच्चे थे।


एक दिन दोनों बिना बताये

नाईट शो में चले गए थे

माँ ने तब था बहुत डांटा

दोनों शर्मिंदा हो रहे थे।


माँ बोली मुझे चिंता थी

अब जान में जान आई,

तू तो मेरा अपना है

माना बहू है पराई।


दुविधा में बैठी वो सोचे

मायके रही हूँ जिंदगी भर,

ससुराल को मैंने अपनाया

कौन सा है मेरा घर।


मेरे लिए दोनों घर मेरे

बात ये समझ न आई,

पराई हूँ मैं माँ के घर में

पति के घर में भी पराई।





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