दूर सब से चला गया
दूर सब से चला गया


नसीब लिखवा कर आए थे
जो आसमान का कीमती सितारा
हमारे पास आया था
रजनी भी जलती थी हमारे संसार को देखकर
कि अब वो ही नहीं जिसके पास सितारा था
भगवान ने कुछ ऐसा करके दिखाया था
ना जाने किसकी कमी थी,
क्यों उसे अपनों में अपनापन ना मिला
वो रूठ कर सब से वापस आसमान में अपनी जगह चला गया
साथ में बिताए अच्छे पलों को बांधकर दूर सब से चला गया
सब की खुशी का कारण बन कर अपनी खुशी खोजता था
दर्द अपने छुपाकर खिलखिलाती हंसी सब में परोसता था
ना जाने कब उसकी ख़ुशी खुद खुशी बन गई
हमारे संसार ने कब दूसरे को अपना संसार बना लिया
अपनों से बिछड़ कर परायो से दिल लगा लिया
ना मिला उसे वो संसार
सोचता रहता कोई ना करता उसे प्यार
सबसे मोह तोड़ कर अपनी जगह वापस चला गया
वह हम सब को छोड़ कर वापस चला गया
दूसरों का दुख नहीं देखा जाता था
तो आज हमारे आंसू जो याद में बह रहे हैं
पूछने वापस क्यों नहीं आता
नींद की जगह रात में भी आंखों में आंसू भरे हैं
उसका ना होना हमारी सोच के भी परे है
लगता ही नहीं वो गया है
मानो जैसे वो अब भी जिंदा है
शायद अपने इस कदम पर शर्मिंदा है
ना जाने क्यों अब सिर्फ यादों में बनकर रह गया
क्यों हम सब को छोड़ कर चला गया
आज रजनी भी खुश है
देखकर हमारा अंधियारा
लेकर वापस तारा अपना सबसे प्यारा
गलती भी की है अगर हमने तो
माफी सुनने के लिए क्यों नहीं है
फासला भी बहुत है फिर भी दूर नहीं है
दिल में बसा है मरते दम तक साथ रहेगा
धड़कने जब तक चलती है तब तक पास रहेगा
दुनिया के लिए गया हो मगर मेरे लिए हमेशा जिंदा रहेगा
ना जाने किसकी कमी थी क्यों उसे अपनों में अपनापन ना मिला
वो रूठ कर वापस आसमान में अपनी जगह चला गया
मोह तोड़ कर सबसे अपना, घर को सुना कर के चला गया।