दुल्हन का मधुमास
दुल्हन का मधुमास
मधुर मिलन का ये सावन महीना
उसपर बरसती बूंदो का सफीना,
नई नवेली सलोनी दुल्हन के मन में
पी के प्रेम का जैसे जड़ा नगीना !
ख्यालों में सदा डूबी रहती है,
दिन-रात सताती याद पिया की
रिमझिम रिमझिम बरसता सावन
सुध बुध हर लेती उसके जिया की !
निसदिन करती गोरी चोरी चोरी
अपने साँवरे से मिलन की आस,
इस मुई बैरन नौकरी की वजह से
दुल्हन का अधूरा रह गया मधुमास !