श्रमिक है वह
श्रमिक है वह
श्रम का साधक खुद साधना कर,
पर उपकारी अनुकरणीय जीवन जीता।
सच्ची लगन इनमें न कोई थकन,
नई ऊर्जा का लिए नव संचार सदा जीता।
आज्ञा का पालक बनकर विश्वासी,
अपने पौषक के बल पर सदा कार्य करता।
शिकन नहीं कोई आती इसके चेहरे पर,
जिम्मेदारियों से जकड़ा हुआ मदमस्त रहता।
उस पर टिकी है उसके पूरे परिवार की आस,
जानकर सारी जिम्मेदारियां बिना रुके निभाता।
न कोई झिझक की न कोई परवाह शब्द की,
अपनी धुन में साधता वो साधना के फल बोता।
खुद्दारी है उसमें और संग है उसकी कर्मठता,
चाहे कितनी बड़ी बाधा हो सबसे भिड़ जाता।
जिंदादिली से करता वह अपने पूरे अरमान,
नमन करें उस श्रमिक को जो श्रम को पूजता।