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V. Aaradhyaa

Inspirational

4.5  

V. Aaradhyaa

Inspirational

अमृत सदृश जल

अमृत सदृश जल

1 min
7



प्रकृति का अनिवार्य उपादान, सतत सर्वदा रहा है पानी। 

जीवन-संचालन हेतु अमृत-सरिस लगे बस पानी।। 

जल ही जीवन,  बिना जल भला, कहाँ जीवन निशानी?? 


अनिवार्य उपादान प्रकृति का, सतत रहा है पानी।


कोशकिय-जीव-द्रव्य का तीन, -चौथाई बस पानी। 

जल बिन निष्क्रिय हों तन अरु मन , जल महिमा-जग जानी।। 

स्नान-ध्यान, धोने में जल से, होती है 


अनिवार्य उपादान प्रकृति का, सतत रहा है पानी।


फसलों की सिंचाई जल से, सारे जग में होती। 

काम बिना जल न चले कुछ वश, सारी दुनिया रोती।। 

जल-संरक्षण से सबको ही, होगी नित आसानी। 

अनिवार्य उपादान प्रकृति का , सतत रहा है पानी।


 तीन-चौथाई जल धरा पर, बाकी पृथ्वी होती। 

सूर्य-जलधि योग सेहि वर्षा, है भू-भाग भिगोती।।

 जल- व -अग्नि-पर्यावरण संग, खेल लगे नादानी। 

अनिवार्य उपादान प्रकृति का, सतत् रहा है पानी।



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