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Chandan Singh

Inspirational

5.0  

Chandan Singh

Inspirational

जय जय जननी

जय जय जननी

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जय जय जननी , जय जय जननी

जय जय जननी हिन्दुस्तान

भारत धरिणी , भारत धरिणी

दिव्यकारिणी मातृ महान


श्वेत मुकुट मस्तक पर धरकर

चरणों में सागर लहराकर

विंध्याचल की माला लेकर

गंगा - यमुना की धारा पाकर

इस माटी का तिलक लगाकर

रोम - रोम सुनाए यह तान

जय जय जननी हिन्दुस्तान


रंग - बिरंगे फूल खिलाकर

विविध संस्कृतियों को अपनाकर

वसुधा को कुटुम्ब बनाकर

अनेकता में एकता लाकर

अतिथि को माने तू भगवान

जय जय जननी हिन्दुस्तान


अदिभाषा संस्कृत को देकर

वेद , पुराण , उपनिषदों को रचकर

उच्च कोटि की चेतना लेकर

इस जीवन को दिव्य बनाकर

शिल्प कला में महारथ लेकर

प्रभु मिलन की अभीप्सा रखकर

दिया तूने अध्यात्म का ज्ञान

जय जय जननी हिन्दुस्तान


सिंधु घाटी सभ्यता को देकर

मातृपूजन की शक्ति लेकर

अनेकों आक्रमणों को सहकर

अपनी संस्कृति हर पल संजोकर

सिकंदर का टूटा यहीं अभिमान

जय जय जननी हिन्दुस्तान


वीरों की तू जन्मभूमि है

महापुरुषों की मातृभूमि है

अखण्ड शांति की तू प्रतीक है

पर रणचंडी भी तेरा रूप है


हे सर्वस्व

त्याग की महामूर्ति !

करें तुझपर खुद को बलिदान

जय जय जननी हिन्दुस्तान


आत्मज्ञान की जन्मदात्री तू

सर्वमंगल की है विधात्री तू

सभी धारणाओं को अपनाकर


नवसृजन की है महामातृ तू

हे ज्योतिशिखा , हे भारत माँ !

तुझपर है जगती की आन

जय जय जननी हिन्दुस्तान


यूनान मिटा और रोम मिटा

मिटा मिस्र का नामोनिशान

हम कल भी थे और आज भी हैं


और कल भी रहेगा हिन्दुस्तान

कुछ बात तो हममें अनूठी है

ताकत के बल हम झुक न सकें


संस्कृति हमारी अनोखी है

माटी से हमें जो जोड़े रखे


यह भूमि हमारी ऐसी है

जैसे झंझावातों में

खड़ी हो दृढ़ चट्टान

जय जय जननी हिन्दुस्तान


आज फिर से दुनिया देख रही

आशा की नज़र भारत की ओर

इस घोर तिमिर में पुकार रही

जागो फैलाओ तुम अंजोर


उठो, उठो हे भारत देश

आज तुम दो एक नवसंदेश

आपसी खींचतान अब बंद भी हो

देशों की कटुता का अंत भी हो


विश्व को दिखाओ एक ऐसी राह

बनें प्रगति में सब हमराह

जग में हो सबका अब नव उत्थान

जय जय जननी, जय जय जननी

जय जय जननी हिन्दुस्तान।


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