जागो विश्वविधाता
जागो विश्वविधाता
सारी दुनिया जिनके चरणों में
आज पड़ी है नतमस्तक
जागो हे भागवतम भारत !
हे ब्रह्म कमल की दिव्य महक !
सकल जगत कर रहा आवाहन
जड़-चेतन दे रहे निमंत्रण
महाकाल का तुझे निवेदन
जागो जननी, जागो माता
जाग उठो हे विश्वविधाता !
हे सकल जगत की अग्निशिखा
हे दिव्यज्योति भारत माता
प्रगटो तव मूल रूप में अब
हे परम ज्ञान के विज्ञाता।
जागो-जागो हे परमप्रभु
जागो-जागो हे विश्वगुरु
हे जग की जननी अब जागो
हे भारत धरिणी अब जागो।
नन्हा शिशु आर्त पुकार रहा
चरणों की ओर निहार रहा
आओ माँ अब कर दो मंथन
यह जगत बने तव मधुर सदन।
अंग-अंग से उठी पुकार
माँ अब तेरे शिशु तैयार
आज गढ़ तू नवल जगत
जग जाए भागवतम भारत।
माँ आ जाओ अब जीवन में
उतरो माँ तुम अब कण-कण में
ले नई चेतना तुम आओ
हृदयों में आज समा जाओ।
उठ चुका उदधि में है तूफ़ान
चरणों में नत हैं कोटि प्राण
माँ आज कर तू यह भू महान
माँ ला दे अब तू नव-विहान।
माँ बस यही है प्रार्थना
माँ सिद्ध कर तू साधना
भारतभूमि अब भव्य हो
जगतमूर्ति यह दिव्य हो।
