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Chandan Singh

Others

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Chandan Singh

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जय भारती

जय भारती

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जय हो तुम्हारी भारती , जय हो तुम्हारी भारती

गगन , पवन , वन , उपवन मिलकर

उतारें तेरी आरती , जय हो तुम्हारी भारती।


बेला , चंपा , गुलाब , चमेली मिलकर

गंध के डोरे डालती , जय हो तुम्हारी भारती।


कोने - कोने में शेरनी सिंह बनकर दहाड़ती

जय हो तुम्हारी भारती।


जगतगुरु की यह भूमि , माता सी बन

समस्त भारतीयों को पालती , जय हो तुम्हारी भारती।


इस माटी के कण - कण में , प्रेम की घुंघरू बाजती

जय हो तुम्हारी भारती।


अत्याचार , अनाचार व अन्याय , यहाँ सत्य के सामने हारती

जय हो तुम्हारी भारती।


स्वयं माता जगदम्बा इस देश की आरती उतारती

जय हो तुम्हारी भारती।


एक नहीं हज़ारों बार यह कलम एक ही आवाज़ पुकारती

जय हो तुम्हारी भारती , जय हो तुम्हारी भारती ।।



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