एक मुलाकात
एक मुलाकात
जा रहा गत वर्ष, नए वर्ष से मुलाकात फ़िर हो गई,
बातों ही बातों में यारी दोस्ती भी दोनों में हो गई,
पूछ रहा था नववर्ष, अनुभव अपने बतलाते जाओ,
कैसे रहे इंसानों के बीच भेद, मुझे समझाते जाओ,
नया हूं ना इसीलिए जाने में, थोड़ा मैं घबरा रहा हूं,
कैसा होगा मेरा नन्हा जीवन, जानना चाह रहा हूं,
गत वर्ष बोला, यह काम है हिम्मत व सहनशक्ति का,
खट्टे मीठे और कड़वे अनुभवों को बर्दाश्त करने का,
कुछ मीठे सुनहरे पल, तुम्हारी तारीखों में छप जाएंगे,
किंतु खट्टे कड़वे प्रसंग, बदनाम भी तुम्हें कर जायेंगे,
मैंने तो ना जाने कितने, नन्हे बच्चों की चीखें सुनी हैं,
गिड़गिड़ाती हुई अबलाओं की लुटती अस्मत देखी है,
शीश कटते देख जवानों के, दिल दहल जाता था मेरा,
देख जवानों की हिम्मत, सीना चौड़ा हो जाता था मेरा,
बेटियों का चीर हरण अनजाने और बेगाने वहां करते हैं,
किंतु बेटियों का भ्रूण मरण तो उनके अपने ही करते हैं,
राजनीति का स्तर प्रत
िदिन इस तरह गिरता जा रहा है,
हर राजनेता केवल कुर्सी के पीछे ही भागा जा रहा है,
इंसान इंसानियत भूल केवल स्वयं का स्वार्थ साध रहा है,
सद्भावना सौहार्द इंसान के स्वभाव से दूर होता जा रहा है,
बताने लगूंगा सब यदि मैं, वर्ष यहां पर ही बीत जाएगा,
फिर भी इंसानों का काला चिट्ठा खत्म नहीं हो पाएगा,
तुम डरो नहीं कुछ अच्छी बातें भी तुमको बतलाता हूं,
कुछ अच्छी घटनाओं का विवरण तुमको दे जाता हूं,
बेटियां बेटों की बराबरी कर हर क्षेत्र में इतिहास रच रही हैं,
और हमारी कुछ तारीखों को आदर से विभूषित कर रही हैं,
देश प्रगति की ओर धीरे-धीरे निरंतर कदम बढ़ा रहा है,
भारतवर्ष का परचम पूरी दुनिया में अब लहरा रहा है,
तुम जाओ तुम्हें तहे दिल से, अपनी शुभकामनाएं देता हूं,
जो कुछ भी मैंने सहन किया, तुम ना करो दुआएं देता हूं,
जा रहा हूं दर्द लिए, इंसानों के पापों को मैं ना खत्म कर पाया,
किंतु नहीं कसूर मेरा, भगवान भी कहां अभी तक सफल हो पाया।