मेरी पहली कविता
मेरी पहली कविता
संस्कृत, हिन्दी, इंग्लिश
तीनों भाषाओं में पाया था ज्ञान
तुकबंदी करना था मेरे लिए आसान।
1986 में किया के. वि. में काम शुरू
बच्चों के साथ हो गया दोस्ती का दौर शुरू।
उम्र छोटी थी जोश ज्यादा था
कुछ कर गुजरने का पक्का इरादा था।
हाऊस मास्टर बन हाऊस को फर्स्ट करवाना
छोटे बच्चों के साथ जी जान लगाना।
सी.सी.ए. की हर एक्टीवीटी में रहा मेरा हाऊस फर्स्ट
लास्ट इवैंट से बनना था फाइनल रिजल्ट।
कविता पाठ था लास्ट प्रोग्राम
उस पर टिका था हाऊस का नाम।
पापा व बहन की कविताओं को बच्चों को रटाया
ये कविताएँ है सबसे अलग, मन ने यह जताया।
पहली की बच्ची की कविता थी छोटी
पर वह बच्ची थी बहुत ही प्रीटी।
उस बच्ची का जोश मेरी प्रेरणा बना
मैंने भी तुकबंदी से उस कविता को बड़ा किया।
पहली बार मैने आठ पंक्तियाँ लिखी
जिस वजह से मेरी बच्ची फर्स्ट रही।
वो आठ पंक्तियाँ थी लेखन की असली शुरुआत
बच्चों का फर्स्ट आना था प्रेरणा स्रोत।
उसके बाद खुद लिखकर देती थी कविता
यहाँ तक कि एकाँकी, कहानी भी लिखी कई दफा।
पापा से मिला था विरासत में ज्ञान
साथ में मिला लिखने का आशीर्वाद।
सही अर्थों में मेरे बच्चे थे मेरी प्रेरणा
जिनके लिए मै करती थी कविता रचना।
धीरे-धीरे बच्चों में भी रूचि जागी
लेखन की दिशा में उनकी रूचि जगी।
इसके बाद कभी मुड़ कर नहीं देखा
स्टोरी मिरर से भी मेरी स्टूडेंट ने मुझे जोड़ा।
आकाँक्षा राव स्टोरी मिरर से जुड़ी
हम से कई औरों को प्रेरणा मिली ।
मै और मेरे बच्चे है एक दूसरे की प्रेरणा
छोटे-छोटे बच्चे करते है कविता रचना।
प्रमाण चाहिए तो के. वि. मोहाली आइये
छोटे-छोटे बच्चों की तुकबंदी को सराहइये।