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Pawanesh Thakurathi

Children Comedy Inspirational

5.0  

Pawanesh Thakurathi

Children Comedy Inspirational

दसवीं कक्षा में फेल होने पर

दसवीं कक्षा में फेल होने पर

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जब दसवीं में हुए हम साथी,

दस नंबर से फेल।

जिंदगी लगने लगी तब,

शतरंज का खेल।


हुए हताश-निराश इतने,

बैठे थामकर सिर।

फेलियर का तमगा लेकर,

कैसे जाए घर।


कैसे जाए घर,

घर में होंगे मम्मी-पापा।

देख रिपोर्ट कार्ड हमारा,

खो न दें कहीं आपा।


नालायक तू नमकहराम,

नहीं किसी काम का है।

खाना-पीना मौज उड़ाना,

जीवन आराम का है।


जीवन आराम का है,

तू है निकम्मा नंबर वन।

नाक कटाकर रख दी तूने,

बना-बना के चंचल मन।


कितना कहा पढ़ ले-पढ़ ले,

फिर भी ना तैयार हुआ।

बिना पढ़े ही खेल लिया,

परीक्षा का तूने जुआ।


परीक्षा का तूने जुआ,

अब तुझसे क्या उम्मीद करें।

बिरादरी और रिश्तेदारी,

कैसे जग की रीत करें।


संगी-साथी तेरे सब,

पास हुए हैं अच्छे से।

तेरे दिमाग के कल-पुर्जे,

अब भी वही हैं कच्चे से।


अब भी वही हैं कच्चे से,

अब तेरा क्या हाल करूँ।

मार-मार के थप्पड़ों से,

लाल-पीला गाल करूँ।


क्रिकेट-क्रिकेट मत किया कर,

कितना तुझको समझाया।

पिक्चर, टी.वी., मोबाइल में,

खोना ही तुझको भाया।


अब भी वक्त है संभल जा छोरे,

वरना फिर पछतायेगा।

गुजरा हुआ समय फिर बच्चे,

हाथ कभी ना आयेगा।


हाथ कभी ना आयेगा,

जीवन हो जायेगा बेकार।

बिना शिक्षा के हृदय तेरा,

देगा तुझको ही धिक्कार।


अब समझ गया हूँ महत्व ज्ञान का,

मैं मूर्ख नादान।

पढ़-लिखकर आगे बढ़ूँगा,

पाऊँगा सम्मान।


पाऊँगा सम्मान,

करूँगा मेहनत तन-मन से।

फेलियर का धब्बा मैं,

मिटा दूँगा अपने फन से।।


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