दादी का पूरनचंद खरहा
दादी का पूरनचंद खरहा
अगस्त पालतू खरगोश
तुम्हारी कोमल सी प्यारी चाल,
छोटे कान और आँखें हैं लाल।
कभी घास पर फुदकते चलते,
कभी किसी कोने में जा छिपते।
तुम्हारा फुर्तीलापन मन को भाए,
संग तुम्हारे दादी हर पल बिताए।
छोटे-छोटे कदम से जब हो दौड़ते,
सपनों की दुनिया में हम यूँ खोते।
नर्म-नर्म वो फरी मखमली चमड़ी,
दौड़ते-भागते निकले तेरी हेकड़ी।
तुम्हारी मासूम प्यारी सी ये हरकतें,
दिल में बसतीं हैं अनमोल हसरतें।
तुम हो दादी की तन्हाई की रौनक,
प्यारे खरगोश, मेरे दिल की खनक।
तुम्हारे संग हर दिन हंसी की बहार,
तुमसे ही सजे दुनिया,ओ मेरे यार।
