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Priyanka Tripathi

Tragedy

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Priyanka Tripathi

Tragedy

द्रवित चांद बोला

द्रवित चांद बोला

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अवनी की पीड़ा देखकर,

द्रवित चांद बोला एक दिन।

उर्वी को बना रहा आग का गोला,

मनुज बहुत पछताएगा तू एक दिन।।


नदियों को कर रहा प्रदूषित,

वन उपवन को भी दे रहा काट।

खेत खलिहान सब बेच रहा आज,

क्या खाएगा-पीएगा तू एक दिन।।


सीमेंट के महलों में तू,

सपने बुनता रात दिन।

बता बिन परिंदों के कौन सा,

साज बजाएगा तू एक दिन।।


जो ना बची ये शस्य-श्यामला,

तू भी ना बच पाएगा एक दिन।

चांदनी रात का जो उठाता है लुत्फ,

वो लुत्फ भी ना उठा पाएगा तू एक दिन।।



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લોગિન

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