दरिया
दरिया
बहता एक दरिया
है मन के अंदर
या है इश्क़ का
कोई गहरा समंदर
मिलते हैं दो दिल जहां
मिलना तुम मुझसे वहां
मीलों चलना साथ मेरे
जहां हो ना कोई फासले।
ना कुछ तुम कहना
बस खामोश रहकर
हमारी धड़कनों को सुनना
रूठ जाऊं गर मैं कभी
यूं प्यार से मना लेना
बहता एक दरिया
है मन के अंदर
या है इश्क़ का
कोई गहरा समंदर ।