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Archana Pati

Abstract

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Archana Pati

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नारी हूं

नारी हूं

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हां मैं नारी हूं

बेकौफ हूं बेबाक हूं

फूल हूं शूल हूं

अंधेरों में भी जो

करे रोशन जीवन मैं

वो गुल हूं


हां मैं नारी हूं

टूटती हूं संभलती हूं

दिनभर सबका खयाल

बड़े प्यार से रखती हूं

मकान को घर बनाती हूं


हां मैं नारी हूं

नहीं बैठती मैं कभी हारकर

सबको खुश रखकर

बनती हूं मैं

हर जगह बेहतर


हां मैं नारी हूं

खुलकर जीती हूं

सपने भी देखती हूं

हौसलों की उड़ान से

आसमान भी छूती हूं

हां मैं नारी हूं।


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