मां
मां
यूं तो प्रेम के रूप कई हैं
पर मैंने समझा उसे तुम्ही से मां,
यूं तो आकाश का कोई छोर नहीं,
पर तुम्हारे स्नेह से समझा मैंने अनंत का अर्थ...
यूं तो दुनिया ने बहुत रंग भेद सिखाया मां,
पर तुमने पढ़ाया मुझे प्यार के हैं कई रंग
और बताया हर रंग है सुंदर...
यूं तो दिल को तोड़ने वाले बहुत मिले
मगर तुमने सिखाया दिलों को जोड़ना
और सबके साथ प्रेम से रहना...
ना जाने क्यों लोग प्रेम को परिभाषित करना चाहते है
ना जाने क्यों मां की ममता को उम्र के साथ ठुकरा जाते हैं....
प्रेम तो तुम हो न मां
तुमने ही सिखाया है ना
प्रेम और स्नेह अनंत है बिल्कुल तुम्हारी मुस्कुराहट की तरह,
हमारा रिश्ता सुंदर है ना मां बिल्कुल आकाश और पंछियों की तरह !!