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Jyotshna Rani Sahoo

Tragedy Inspirational

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Jyotshna Rani Sahoo

Tragedy Inspirational

दर्द

दर्द

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क्या है ये दर्द किसको पूछूं

वो बेजुबां है लेकिन उसके 

चेहरे पे मुस्कान है,

और खुदा ने जिन्हें जुबां दिए

उन्हें शिकायत से फुर्सत नहीं है।


उसका पैर नहीं है 

पर ये क्या ?

मुझे उसके दर्द नहीं

चमकता हौसला दिख रहा है,

और जिसके पैर सलामत है

वो किस्मत को कोस रहा है,

क्यूं की वो अभी अभी हारा है

एक बार भागते हुए गिरा है

उसके पास मौकों की कमी है,

और उसके पैरो के नीचे 

उबड़ खाबड़ जमीं है।


मैं देखी उसको जिसके आंख नहीं है

उसके आंखों में तो आंसू ही नहीं है,

शायद उसके दिल में दर्द जमे होंगे

जो आंसू बन के नहीं बहते होंगे

लेकिन ये क्या?

वो बिन आँखें सपने देखते है

उमंग उनके सिर चढ़कर बोलते है,

अफ़सोस नहीं बल्कि ख़ुशी है ।

उनके सपने आँखें खुलते 

रौशनी की चमक से गायब नहीं होते

और जिनके आँखें

है,

कहीं सपना टूट ना जाए इसलिए

वो नींद टूटने से डरते है।


मैं उनको देखी 

जो रोटी के लिए तरसते है 

अब लगा भूखे पेट में मुझे दर्द मिलेगा

पर नहीं सोची थी कि,

यहां से भी मुझे खाली हाथ लौटना होगा।

यहां मैं अद्भुत प्रेम देखी

जो भूख से कई गुना बढ़ कर है

ग़रीबी हार माना यहां

अपने है तो है सारा जहां।

और मैं अमीरों को देखी हूं

प्यार और अपना पन से तड़पता,

जहां सबसे पहले अहंकार का कब्जा होता।


नहीं जान पाई मैं दर्द का सही ठिकाना

ढूंढ ली दुनिया का कोना कोना,

कभी खुशी में तो कभी दुःख में।

देखी मैं उसको बदलते रूप में

कभी खुद के अंदर झांकी

कभी अपने आंखों में देखी

वो आंसू बन के भी बहता है,

और हँसी बन के भी चेहरे पे झलकता है,

कोई हँसी से दर्द छुपाते है

और कोई दर्द के आंसू को,

ख़ुशी के नाम देते है।



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