दर्द इतना दे गये तुम
दर्द इतना दे गये तुम


ग़म नहीं इस बात का कि बेवफ़ा हो गये तुम,
ग़म नहीं इस बात का कि तन्हा हो गये हम,
ग़म तो इस बात का है कि दर्द इतना दे गये तुम,
कि हम, हम ना रहे, तुम, तुम ना रहे,
यह पैगाम हमको दे गये तुम,
ग़म नहीं इस बात का कि बेवफ़ा हो गये तुम।
नज़र उस राह को तकती थी,
जहाँ से तुम गुजरते थे,
धड़कनें तब तेज़ होती थीं,
तुम्हारे आने की जब आहट सुनते थे,
सांसें थम सी जाती थीं,
तुम्हारे आकर चले जाने से,
ग़म नहीं इस बात का कि तन्हा हो गये हम,
दर्द इस बात का है कि सांसें अटका कर
चले गये तुम,
ग़म नहीं इस बात का कि बेवफ़ा हो गये तुम।
उठाता हूँ जब भी हाथ में प्याला,
कि सब कुछ भूल जाऊँ मैं,
तुम्हारी यादों से जुदा हो पाऊँ मैं,
किन्तु याद आ जाते हैं,
तुम्हारे कसमें वादे,
ग़म नहीं इस बात का कि तन्हा हो गये हम,
दर्द तो इस बात का है कि कसमें दे गये तुम,
ग़म नहीं इस बात का कि बेवफ़ा हो गये तुम।
नब्ज़ धीमी हो पाती नहीं,
सांसें भी जाती नहीं,
ग़म नहीं इस बात का कि ज़िंदगी
साथ दे पाती नहीं,
ग़म है इस बात का कि मौत आ पाती नहीं,
दर्द इस बात का है कि मझधार में ही छोड़
गये तुम,
हमसे रिश्ता तोड़ गये तुम,
ग़म नहीं इस बात का कि तन्हा हो गये हम,
ग़म नहीं इस बात का कि बेवफ़ा हो गये तुम।
नज़र उठती है जब ऊपर,
हर जगह तुम ही दिखते हो,
बांहें खुलती हैं तुम्हें आगोश में लेने को,
ग़म नहीं इस बात का कि बांहें खाली रह गईं,
दर्द इस बात का है कि किसी और के हो गये तुम,
ग़म नहीं इस बात का कि बेवफ़ा हो गये तुम।