दोस्तों की महफिल
दोस्तों की महफिल
जीवन की हर घड़ी में साथ निभाया रहे साथ खड़े हमारे,
कहीं बीत गए कई महीने कहीं हमने चार पल भी गुजारे,
वो दोस्त हमारे जो हमारे लिए दुखो में कई कई रात जागे,
जिससे बंधा है यह दोस्ती का रिश्ता वो है विश्वास के धागे,
जब साथ मिले कहीं कहकहों में डूबे कभी गम के गीत गाए,
साथ बैठे दोस्तों की महफिलों में खुशियों के महल सजाए,
चलो समेटें उन सभी सुनहरी यादों को जो साथ बिताए हैं,
गम- ओ- खुशी की लहरों में कितनी बार हिचकोले खाए हैं,
अतीत की वो सुंदर और प्यारी यादें मन में हलचल करती है,
दोस्तों की वो बातें आज भी जीवन में नई ऊर्जा भर देती है,
ये दोस्ती तो बदरंग फूलों में भी खुशबू के कई रंग भर देते हैं ,
बड़ी मुश्किल से दुनिया में सच्चे और अच्छे दोस्त मिलते हैं,
स्वार्थ में तो सब साथ दे देते हैं पर दुख में एक ही होता है,
जो हमारे सुख में खुश होता है और हमारे दुख में रोता है,
आज भी अलि का झंकृत स्वर ढूंढता फूलों की लाली को,
जहाँ खेलते थे मिलकर आज भी निहारता हूँ उस डाली को I