दोहा छंद
दोहा छंद
मात-पिता गुरु का सदा, करें सभी सम्मान।
लालन-पालन कर हमें, देते शिक्षा दान।।
मातु प्रथम गुरु मानिए, दे उत्तम संस्कार।
भला-बुरा के ज्ञान से, देती सीख अपार ।।
मात-चरण को जानिए, रहता चारों धाम।
सेवा इनकी कीजिए, जग में होता नाम ।।
पिता रहें नित ढाल सम, हमको मिलती मान।
माँ निज खुशियाँ छोड़कर,रखती हर पल ध्यान।।
ब्रह्म रूप सम मानकर, करना नित गुणगान।
नित महत्व भी दीजिए, होते सदा महान।।
स्वार्थ रहित इनका सदा, बच्चों प्रति अति प्रेम।
न्यौछावर करके सभी, पूछें कुशलों क्षेम।।
कर प्रणाम उनको सदा, मिले सभी आशीष।
महिमा अपार मात की, नित्य झुकाऊँ शीश।।
