दो पल की जिंदगी
दो पल की जिंदगी
दो पल की जिंदगी,
एक दिन होगी शाम।
धर्म कर्म सबसे बड़ा,
कर ले परहित काम।।
छोटी सी है जिंदगी,
बना हुआ अज्ञान।।
धर्म कर्म से काम ले,
ठीक नहीं अभिमान।।
मन से निकले बोल ही
सच्चे हो उद्गार।
झूठ कपट में मन लगा,,
मिलते दर्द हजार।।
सच का दामन थाम ले,
झूठ बुरे हो बोल।
देख जहां के दर्द को,
मन की आंखें खोल।।
पल पल बीते जिंदगी,
ईश्वर का ले नाम।
झूठ कपट दामन पकड़,
होता जन बदनाम।।
बड़ा सहारा मानकर,
दाता का ले नाम।
अंधेरा पल में दूर हो,
बनते बिगड़े काम।।
पल भर की जिंदगी,
फिर करता अभिमान।
सोच कभी रे पगले,
कितना बड़ा अज्ञान।।