Sanjay Pathade Shesh
Comedy
राजनीति के
सिर्फ दो पहलू
घर का भेदी
लंका ढाये या
लौट के बुद्धू
घर को आये।।
रेवड़ी
जनप्रतिनिधि
अजब दौर है
आदत
श्रद्धा बनाम ...
मोहरा
मोहरे
विश्वास
आश्वासन
हाइकू रचनायें
ये तुम्हारी या मेरी नहीं अपनी, है ये कहानी घर-घर की। ये तुम्हारी या मेरी नहीं अपनी, है ये कहानी घर-घर की।
मौसम आधी धूप, आधी बदली वाला सा तुरंत उतारी अच्छी सी फोटो मौसम आधी धूप, आधी बदली वाला सा तुरंत उतारी अच्छी सी फोटो
इस कल्पवृक्ष का हर कोई अभिन्न अंग है, बांध कर रखे हैं हमें प्यार, आदर और सत्कार। इस कल्पवृक्ष का हर कोई अभिन्न अंग है, बांध कर रखे हैं हमें प्यार, आदर और सत्क...
वो मेहनत के दिन वो मीठी झिड़कियों के दिन हर किसी को याद आते हैं वो पुराने दिन। वो मेहनत के दिन वो मीठी झिड़कियों के दिन हर किसी को याद आते हैं वो पुराने दिन...
सम्राज्ञी बनकर बैठी हमको अपने इशारों पर नचाती, सम्राज्ञी बनकर बैठी हमको अपने इशारों पर नचाती,
आज सुबह सुबह दो बहनों में लड़ाई हो गई कॉलोनी के बीच चौराहे पर हाथापाई हो गई। आज सुबह सुबह दो बहनों में लड़ाई हो गई कॉलोनी के बीच चौराहे पर हाथापाई हो गई।
बैठे बैठे एक दिन दिमाग में एक बात गूंजी फेसबुक पे लोगों से हंसी दिल्लगी की सूझी। बैठे बैठे एक दिन दिमाग में एक बात गूंजी फेसबुक पे लोगों से हंसी दिल्लगी की ...
कल रात पूजा पंडाल मेंं अजीब बात हो गई। कल रात पूजा पंडाल मेंं अजीब बात हो गई।
जनता के रक्त की बूंद बूंद पीकर कर रहे रखवाली जनता के रक्त की बूंद बूंद पीकर कर रहे रखवाली
न यह शिवशंभु का चिट्ठा न परसाई जी का व्यंग न यह शिवशंभु का चिट्ठा न परसाई जी का व्यंग
नेताजी की शेरवानी के बटन होल में नेताजी की शेरवानी के बटन होल में
उनका तो वायदा ही बदलाव की राजनीति का था शिक्षा के साथ शराब माडल में गुनाह क्या है? उनका तो वायदा ही बदलाव की राजनीति का था शिक्षा के साथ शराब माडल में गुनाह क्य...
आप दोनों में ये अनुपम सामंजस्य हो ये अजूबा हो ही नहीं सकता है। आप दोनों में ये अनुपम सामंजस्य हो ये अजूबा हो ही नहीं सकता है।
आपके टिकट का अग्रिम अनुबंध हो गया है। बस! अब आप तैयारी कीजिए। आपके टिकट का अग्रिम अनुबंध हो गया है। बस! अब आप तैयारी कीजिए।
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में फिर से उन्हें गद्दी पर बैठा दिया उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में फिर से उन्हें गद्दी पर बैठा दिया
द्वार खड़ी माँ अब आरती उतारती, वीर बढ़ो माँ अब नित हैं पुकारती। द्वार खड़ी माँ अब आरती उतारती, वीर बढ़ो माँ अब नित हैं पुकारती।
प्रभु! क्षमा चाहता हूं आना तो मैं दिन में ही चाहता था, प्रभु! क्षमा चाहता हूं आना तो मैं दिन में ही चाहता था,
बिना कविता सुनने के कोई और मार्ग है क्या? बिना कविता सुनने के कोई और मार्ग है क्या?
रावण की जगह लेने की कोशिश भी न करो, रावण की जगह लेने की कोशिश भी न करो,
जाओ कर लो ये शादी, बन जाओ पत्नी के डमरु। शा जाओ कर लो ये शादी, बन जाओ पत्नी के डमरु। शा