Sanjay Pathade Shesh
Drama
जिसे मिली ना
पीहर ससुराल में
कभी आजादी
नानी
हिम नदी सी
एक लंबी कहानी
सबकी नानी।
रेवड़ी
जनप्रतिनिधि
अजब दौर है
आदत
श्रद्धा बनाम ...
मोहरा
मोहरे
विश्वास
आश्वासन
हाइकू रचनायें
दिन दोपहर में लाइट का जाना बरगद के पेड़ के नीचे बैठे हर एक मुंह से सुनी कहानी दिन दोपहर में लाइट का जाना बरगद के पेड़ के नीचे बैठे हर एक मुंह से सुनी कहानी
आती है, मौत यह, क्रोधाग्नि खूं जलाती, जोत क्रोध है, खोट आती है, मौत यह, क्रोधाग्नि खूं जलाती, जोत क्रोध है, खोट
होंठों की जगह आंखों से निकल, न जाने कहां धुआं-धुआं हो जाती है। होंठों की जगह आंखों से निकल, न जाने कहां धुआं-धुआं हो जाती है।
इस चादर में तेरे स्पर्श को तलाशते, तेरी छुअन की मिलावट याद करते है हम इस चादर में तेरे स्पर्श को तलाशते, तेरी छुअन की मिलावट याद करते है हम
इल्म हुआ मुझे सबसे खूबसूरत है इश्क का अख़्तर होना इल्म हुआ मुझे सबसे खूबसूरत है इश्क का अख़्तर होना
मुखौटों में ही हम उलझे रहते, लगाते रहते हैं विविध अनुमान। मुखौटों में ही हम उलझे रहते, लगाते रहते हैं विविध अनुमान।
शायद मजाक उड़ाते होंगे मेरी न कही बातों का शायद मजाक उड़ाते होंगे मेरी न कही बातों का
कोई यहां स्वार्थी इंसानों से दुःखी है कोई अपने आप से ही बहुत दुःखी है कोई यहां स्वार्थी इंसानों से दुःखी है कोई अपने आप से ही बहुत दुःखी है
धड़कनें भी जाने कब दग़ा दे जाएँ सांसें भी मेहमान हैं कुछ पल की धड़कनें भी जाने कब दग़ा दे जाएँ सांसें भी मेहमान हैं कुछ पल की
कभी मेरे चरित्र पर तो कभी उनके किरदार पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया कभी मेरे चरित्र पर तो कभी उनके किरदार पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया
अरुणाचल में उगते सूर्य का मनमोहक दृश्य है l मेरा भारत सोने की चिड़िया.... अरुणाचल में उगते सूर्य का मनमोहक दृश्य है l मेरा भारत सोने की चिड़िया....
जो पहने आलस्य नर मुंड वो नहीं पाते, सफलता कुंड जो पहने आलस्य नर मुंड वो नहीं पाते, सफलता कुंड
फिर रस्म कन्यादान की निभा मुझे किसी और आंगन का कर दिया, फिर रस्म कन्यादान की निभा मुझे किसी और आंगन का कर दिया,
किसी का विश्वास शीशे जैसा घर जो टूट जाये तो फिर न जुड़े नर किसी का विश्वास शीशे जैसा घर जो टूट जाये तो फिर न जुड़े नर
जो खुद का ढोते है, भार धरती का बढ़ाते है, भार जो खुद का ढोते है, भार धरती का बढ़ाते है, भार
जब राम थे तब भी ऊंगली उठाई गई जनक दुलारी पर.. और अब जबकि....! जब राम थे तब भी ऊंगली उठाई गई जनक दुलारी पर.. और अब जबकि....!
दिल के कोने में छिपे जज़्बात की कोई आवाज तो होगी, दिल के कोने में छिपे जज़्बात की कोई आवाज तो होगी,
शायद मैं उसके योग्य नहीं उसे यह दीपक नहीं, दूसरा सूर्य मिले ! शायद मैं उसके योग्य नहीं उसे यह दीपक नहीं, दूसरा सूर्य मिले !
बस दे दो एक टुकड़ा बादल का मुझे, तुम रख लो पूरा आसमान। बस दे दो एक टुकड़ा बादल का मुझे, तुम रख लो पूरा आसमान।
आओ संकल्प करें, खुलकर हंसे हम हंसी न हो हमारी, झूठ, अधर्म, पाप की आओ संकल्प करें, खुलकर हंसे हम हंसी न हो हमारी, झूठ, अधर्म, पाप की