Sanjay Pathade Shesh
Abstract
चुनाव के पूर्व
वे अपने आपको
जनप्रतिनिधि बताते हैं
चुनने के बाद वे
जन निधि के प्रति
समर्पित हो जाते हैं।
रेवड़ी
जनप्रतिनिधि
अजब दौर है
आदत
श्रद्धा बनाम ...
मोहरा
मोहरे
विश्वास
आश्वासन
हाइकू रचनायें
क्योंकि तू अनजान है की कितना बदल गई हूं मैं। क्योंकि तू अनजान है की कितना बदल गई हूं मैं।
सोचों के बगीचे में जब फूल खिल जाए, धड़कने किसी के नाम पर जब धड़कने लग जाए। सोचों के बगीचे में जब फूल खिल जाए, धड़कने किसी के नाम पर जब धड़कने लग जाए।
हमेशा शायद ये एहसास काग़ज़ पर उतारने के लिए काफी नहीं ! हमेशा शायद ये एहसास काग़ज़ पर उतारने के लिए काफी नहीं !
फिर बड़ी शान से भेदकर झूठ का चक्रव्यूह बेदाग सदा से ही मुस्करा रहा है। फिर बड़ी शान से भेदकर झूठ का चक्रव्यूह बेदाग सदा से ही मुस्करा रहा है।
न दिन हैं न रात हैं, धुंध का पहरा है। न दिन हैं न रात हैं, धुंध का पहरा है।
तो आखिर इस जमाने के साथ चलूं कैसे? तो आखिर इस जमाने के साथ चलूं कैसे?
अब जीवन की हर राह आसान हो गई हमें अपनी मंजिल मिल गई। अब जीवन की हर राह आसान हो गई हमें अपनी मंजिल मिल गई।
कोई तो दहशत में सिसकती आवाज को सुनो। कोई तो दहशत में सिसकती आवाज को सुनो।
माँ ने कहा पानी में झाँककर। अपने चेहरे पर मत रीझना। माँ ने कहा पानी में झाँककर। अपने चेहरे पर मत रीझना।
ये हवाएँ....मन को चीरते हूए..... मेरी रूह को छेड़ रही है..... ये हवाएँ....मन को चीरते हूए..... मेरी रूह को छेड़ रही है.....
ना जाने तू कब क्या होगा आज है हम, कल हों ना हों, ना जाने तू कब क्या होगा आज है हम, कल हों ना हों,
चमकेंगे एक दिन, बन के सितारा सब के दिलों में, अरमान ये है. चमकेंगे एक दिन, बन के सितारा सब के दिलों में, अरमान ये है.
लेकिन दुश्मन तेरी गुस्ताखी मां की गोद सूनी,है कर जाती। लेकिन दुश्मन तेरी गुस्ताखी मां की गोद सूनी,है कर जाती।
मेरी आवाज़ को वो दफन कर रहे हैं जाने कितने युँ हमपर सितम कर रहे हैं.. मेरी आवाज़ को वो दफन कर रहे हैं जाने कितने युँ हमपर सितम कर रहे हैं..
आजकल, तेरे दरबार में कम, कहीं और व्यस्त लाग रहे हो। आजकल, तेरे दरबार में कम, कहीं और व्यस्त लाग रहे हो।
बोलतीं एक दूसरे से बुनती एक ताल कहानी की लय में। बोलतीं एक दूसरे से बुनती एक ताल कहानी की लय में।
छिप नहीं सकते हैं दाग दामन के लेकिन ईमानदारी भी कुछ होती है। छिप नहीं सकते हैं दाग दामन के लेकिन ईमानदारी भी कुछ होती है।
अधीनता में लिपटे अतीत से स्वतंत्र होने तक की प्रकिया एक कविता है। अधीनता में लिपटे अतीत से स्वतंत्र होने तक की प्रकिया एक कविता है।
लोगों मे मिलता बहुत अभाव करुणा दया प्रेम के प्रबल भाव. लोगों मे मिलता बहुत अभाव करुणा दया प्रेम के प्रबल भाव.
जताती नहीं किसी को, पर नजरें हैं कि मेरी मानती नहीं। जताती नहीं किसी को, पर नजरें हैं कि मेरी मानती नहीं।