Sanjay Pathade Shesh
Tragedy
सत्ता में
जितने फूल
उतने ही कांटे हैं
कारण -
उन्होंने केवल
अपनों को ही
मंत्री पद बांटें हैं।
रेवड़ी
जनप्रतिनिधि
अजब दौर है
आदत
श्रद्धा बनाम ...
मोहरा
मोहरे
विश्वास
आश्वासन
हाइकू रचनायें
किसी से नयन मिलते है, किसी से प्यार है होता। किसी की जान को लेकर, किसी से नयन मिलते है, किसी से प्यार है होता। किसी की जान को लेकर,
लोग दिखा रहे अपनी औकात है दिल तोड़ रहे मेरा वो बिना बात है लोग दिखा रहे अपनी औकात है दिल तोड़ रहे मेरा वो बिना बात है
एक प्राचीन प्रथा, एक स्त्री की व्यथा बहुत पहले हमारे राजस्थान की कथा। एक प्राचीन प्रथा, एक स्त्री की व्यथा बहुत पहले हमारे राजस्थान की कथा।
उठाया गोद में और बना दी मज़ार आज कुछ फूल दिखे वहां फूल ताज़ा थे, नमी थी उनमें उठाया गोद में और बना दी मज़ार आज कुछ फूल दिखे वहां फूल ताज़ा थे, नमी थी उन...
जमाने के सारे प्रश्न सिर्फ मेरे हिस्से में आए। जमाने के सारे प्रश्न सिर्फ मेरे हिस्से में आए।
हर बात पर 'क्यूँ' चिपकाती हैं , आज की लड़कियां सवाल बहुत करती हैं। हर बात पर 'क्यूँ' चिपकाती हैं , आज की लड़कियां सवाल बहुत करती हैं।
हम उस तिनके के सहारे चल ही दिए, जब बात मोहब्बत की आई थी. हम उस तिनके के सहारे चल ही दिए, जब बात मोहब्बत की आई थी.
दिल को मिला है गहरा ज़ख्म जब भी तुम्हारा वो चेहरा याद आता है दिल को मिला है गहरा ज़ख्म जब भी तुम्हारा वो चेहरा याद आता है
थके-हारे थे नींद तो आनी ही थी, हम तो मेहनत करके सोए थे, थके-हारे थे नींद तो आनी ही थी, हम तो मेहनत करके सोए थे,
भूला कोई किसी को फकत ख्वाब समझकर कोई किसी के वास्ते हद से गुज़र गया भूला कोई किसी को फकत ख्वाब समझकर कोई किसी के वास्ते हद से गुज़र गया
भूल चुके हम जो इश्क़ में तेरी जफ़ाओं को भुला ना सके हम तिरी फ़रेबी निगाहों को भूल चुके हम जो इश्क़ में तेरी जफ़ाओं को भुला ना सके हम तिरी फ़रेबी निगाहों को
मेरी राहों पे फूल महके हैं कौन देता है ये दुआ मुझको मेरी राहों पे फूल महके हैं कौन देता है ये दुआ मुझको
महामारी से जिन्दगी के इस जंग की जल में फेंकें पत्थरों के तरंग की महामारी से जिन्दगी के इस जंग की जल में फेंकें पत्थरों के तरंग की
ज़रा भी आँख खुल जाए तो फिर सपना नहीं रहता ज़रा भी आँख खुल जाए तो फिर सपना नहीं रहता
मैने उसको गोल रोटी बनाना सिखाया था, मुझे उसको दरिंदों की चटनी बनाना भी सिखाना था। मैने उसको गोल रोटी बनाना सिखाया था, मुझे उसको दरिंदों की चटनी बनाना भी सिखाना...
यूँ मत चिल्ला,यूँ मत चीख ज़माना न देगा तुझे भीख। यूँ मत चिल्ला,यूँ मत चीख ज़माना न देगा तुझे भीख।
मां बोली कैसे इस ग़रीबी में, मेरे बच्चे के सपने बिखर गए। मां बोली कैसे इस ग़रीबी में, मेरे बच्चे के सपने बिखर गए।
नजरों से कभी ओझल नहीं हो तुम हर मंजर में तू ही बसा हुआ है। नजरों से कभी ओझल नहीं हो तुम हर मंजर में तू ही बसा हुआ है।
तुझसे यही गिला है ज़िंदगी, तूं मेरी कभी हुई नहीं।। तुझसे यही गिला है ज़िंदगी, तूं मेरी कभी हुई नहीं।।
कोरोना की इस महामारी में, जहाँ भयंकर वायरस में बचता रहा मैं। कोरोना की इस महामारी में, जहाँ भयंकर वायरस में बचता रहा मैं।