Sanjay Pathade Shesh
Abstract Others
राजनीति की
बिसात पर
वे सिर्फ मोहरे हैं....
कौन नचा रहा
उनको
उनके चारों तरफ
कोहरे है...
रेवड़ी
जनप्रतिनिधि
अजब दौर है
आदत
श्रद्धा बनाम ...
मोहरा
मोहरे
विश्वास
आश्वासन
हाइकू रचनायें
वक्त कभी रुका रुका दिखता है कभी बेतहाशा भागने लगता है वक्त कभी रुका रुका दिखता है कभी बेतहाशा भागने लगता है
मैं आंखों को बंद कर खुद में तुझे देखता हूं तुझे आस पास अपने बार बार महसूस करता हूँ मैं आंखों को बंद कर खुद में तुझे देखता हूं तुझे आस पास अपने बार बार महसूस क...
वर्तमान से वक्त बचा लो तुम निज के निर्माण में। वर्तमान से वक्त बचा लो तुम निज के निर्माण में।
खुशहाली को बढ़ते देखा है खेतों खलिहानों को कभी लहलहाते कभी बंजर होते देखा है। खुशहाली को बढ़ते देखा है खेतों खलिहानों को कभी लहलहाते कभी बंजर होते देखा है।
पर देश विरोधी मानसिकता का शिकार हो घायल भी हो रहा है। पर देश विरोधी मानसिकता का शिकार हो घायल भी हो रहा है।
कार्य आजादी से किया कहीं कोई बंदिश नहीं कहीं कोई दीवार नहीं इसी को कहते हैं आजादी कार्य आजादी से किया कहीं कोई बंदिश नहीं कहीं कोई दीवार नहीं इसी को कहते...
बस इसी नजरिये से लोग एक-दूसरे पर हावी पड़ रहे है। बस इसी नजरिये से लोग एक-दूसरे पर हावी पड़ रहे है।
तन कर खड़े थे जो कल टूट गए हैं, उन के साथी पत्ते भी उनसे छूट गए हैं, तन कर खड़े थे जो कल टूट गए हैं, उन के साथी पत्ते भी उनसे छूट गए हैं,
प्रलय तो तब भी नहीं आया जब एक मां के सामने उसके बच्चों की बलि दे दी गई प्रलय तो तब भी नहीं आया जब एक मां के सामने उसके बच्चों की बलि दे दी गई
स्त्री पर लिखी पुस्तकों को जमीन पर आने की स्त्री पर लिखी पुस्तकों को जमीन पर आने की
कथा अनेक, दीवाली मनाने के कारण से जुड़ी राम जी चौदह वर्ष का वनवास खत्म कर लौटे कथा अनेक, दीवाली मनाने के कारण से जुड़ी राम जी चौदह वर्ष का वनवास खत्म कर लौट...
राम इतना बहे, राम मन हो गये राम वन जो गये, राम ही हो गये राम इतना बहे, राम मन हो गये राम वन जो गये, राम ही हो गये
भाई के मन भाएगी ज़रूर जयपुर की डिजाइनर कालीन, भाई के मन भाएगी ज़रूर जयपुर की डिजाइनर कालीन,
हमें हमारी खूबियों से हमारा परिचय करवाकर हमारे दोष निकालकर भविष्य के लिए तैयार करते ह हमें हमारी खूबियों से हमारा परिचय करवाकर हमारे दोष निकालकर भविष्य के लिए तैय...
देश की जनता से प्यार करते हो तो हमें छोड़कर क्यों चले गए? देश की जनता से प्यार करते हो तो हमें छोड़कर क्यों चले गए?
बढ़ गए लोग अनसुना कर, और रहा चीखता सन्नाटा। बढ़ गए लोग अनसुना कर, और रहा चीखता सन्नाटा।
बात खाने की जब भी आती है, व्यंजनों की तस्वीर सामने नज़र आती है। बात खाने की जब भी आती है, व्यंजनों की तस्वीर सामने नज़र आती है।
त्रिशूल उठाकर हाथ में किया उन्होंने वार नन्हे गणेश का सर गिरा जंगल के पार त्रिशूल उठाकर हाथ में किया उन्होंने वार नन्हे गणेश का सर गिरा जंगल के पार
हम जिस समाज में पलते है, उसी की राह पर चलते है देखकर अपने गुरु जनों को, हम जिस समाज में पलते है, उसी की राह पर चलते है देखकर अपने गुरु जनों को,
कभी मुग़लों के अरबी - फारसी तो कभी अंग्रेजों के अंग्रेजी से लड़ती रही। कभी मुग़लों के अरबी - फारसी तो कभी अंग्रेजों के अंग्रेजी से लड़ती रही।