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Ajay Singla

Romance

4  

Ajay Singla

Romance

दिन आज भी है होली का

दिन आज भी है होली का

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पुरानी ये एक बात है 

कॉलेज में जब था पढ़ रहा 

हॉस्टल में रहता था मैं 

लड़का मैं था एक सत्रह का।


आज भी मुझे याद है 

होली का वो दिन खास था 

एक टोली लड़कों की चली 

मैं भी उनके साथ था।


हॉस्टल में लड़कियों के 

रंग लगाने पहुंचे थे 

एक लड़की मुझको भा गयी 

कभी देखा न पहले उसे।


लाल रंग गुलाल का वो 

लगाया उसके गाल पर 

तब देखा उसने घूर कर 

आँखों में आँखें डाल कर।


वो चुनरी उसकी पीली थी 

सूट का रंग नीला था 

और रंग लगा उसपर हरा 

वो बहुत ही चटकीला था।


पिचकारी लेकर आई वो 

इंद्रधनुष सी वो लगे 

मुस्काई और शरमा गयी 

रंग सारा मुझपर डाल के।


न जाने फिर उस भीड़ में 

गायब हुई फिर वो कहाँ 

उसकी झलक एक पाने को 

बस मैं तड़पता ही रहा।


वापिस वहां से आ गया 

खोया मैं उसकी याद में 

मुलाकात पहली और आखिरी 

मिल न सके कभी बाद में।


आ जाता सामने आँखों के 

हर होली पर चेहरा वही 

दिन आज भी है होली का 

याद उसकी मुझको आ रही।


सुना है सब कुछ बंद है 

बैठा हूँ अपने कमरे में 

किसी को मिल न सकते तुम 

कोरोना ये पकड़ न ले।


बस फ़ोन पर गुजिया मिली

होली भी खेली फ़ोन पर 

और सपनों में ही खो रहा 

दिन भर मैं उसको याद कर।



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