दिलीनाक
दिलीनाक
मैं एक नाक,
यह है मेरा दिल
दिलीनाक हूँ मैं।
कई किस्से,
कई हैं कहानियाँ
इस नाक के।
क्या कहूँ मैं,
बदसूरत लगे
मेरे बिन तू।
चेहरा बोला,
मैं सुंदर तुझसे
तू चुप कर।
बिन नाक के,
सुंदर नहीं न तू !
देख शीशे में।
मुझे कहते हो,
मुझ से इज्ज़त
मुझ से मान।
चेहरा बोला,
न कर गुमान
मैने बिठाया जान।
मेरे बिन तू
बदसूरत मान
न तेरी पहचान।
दिल सुन्दर,
नाक भी सुन्दर
तो चेहरा सुन्दर।
नाक का दिल,
चेहरे का गर्व
न कटने दो।
मानव सुख,
गर्व न कर
मिलकर रहो।
