दीवार उसे ख़ूब शानदार दी जाल बुनने को खलिहान दिया। दीवार उसे ख़ूब शानदार दी जाल बुनने को खलिहान दिया।
मानव सुख, गर्व न कर मिलकर रहो। मानव सुख, गर्व न कर मिलकर रहो।
मैं जानती हूँ दर्पण झूठ नहीं बोलता तभी तो उसका अहसान मानती हूँ। मैं जानती हूँ दर्पण झूठ नहीं बोलता तभी तो उसका अहसान मानती हूँ।
काश ! कहीं से मिल जाते मुझे कुछ जादुई बीज जो कर देते हर समस्या का अंत। काश ! कहीं से मिल जाते मुझे कुछ जादुई बीज जो कर देते हर समस्या का अंत।