दीवार उसे ख़ूब शानदार दी जाल बुनने को खलिहान दिया। दीवार उसे ख़ूब शानदार दी जाल बुनने को खलिहान दिया।
हम इंसान ही हैं या के मकड़ी बन गए। हम इंसान ही हैं या के मकड़ी बन गए।
जो बुंती ही रही बिना रुके ये जाल सारी उम्मीद टिकी है तुझ पर जो बुंती ही रही बिना रुके ये जाल सारी उम्मीद टिकी है तुझ पर