दिल.
दिल.
ये दिल मोम का नहीं बना,
जो अंगार लगाने से पिघल जाऐ।
ये दिल उस फुल के लिऐ बना,
जिसकी मुस्कान से ही पिघल जाऐ।
ये दिल पत्थर का नहीं बना,
जीसे कभी आता ना हो पसीना।
ये दिल तो है प्रियसी के इश्क का खजाना,
जिसे चाहिए सिर्फ मिलने का बहाना।
मगर क्या कहने इस दिल के,
जो हर पल स्वागत में खडा उनके।
मगर क्या करे हम भी इंतजार करके,
सिने में दिल नहीं हैं जो उनके
मगर हमारे दिल की व्यथा,
उनके दिल के शिवाय अधुरी जीवन गाथा।
इस दिल का कोई हल नहीं।
उनके शरण में झुक जाता ये माथा।