दिल पे किसका ज़ोर
दिल पे किसका ज़ोर
इश्क़ हो जाता है बस,
कोई शिखाया नहीं जाता,
मन में उसी के ख़्याल चलते है,
कोई ख़्याल डालने नहीं आता,
उन्हें देखते हीं दिल ज़ोर से धक-धक करता है,
दिल को कोई ओर धड़काने नहीं जाता,
कब मोहब्बब हो जाती है पता नहीं चलता,
और फ़िर दिल पे किसकी ज़ोर नहीं चलता।

