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Ervivek kumar Maurya

Romance

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Ervivek kumar Maurya

Romance

दिल में बसा के बैठा हूँ

दिल में बसा के बैठा हूँ

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मैं तुझे आज भी दिल में बसा के बैठा हूँ

मैं तुझे आज भी निगाहों में चुरा के बैठा हूँ


मेरी पहली सुबह तू थी,आखिरी शाम तू होगी मेरी

शाम-ओ-शहर तेरे लिए दिया जलाए बैठा हूँ


प्यार का पहला खत था मेरा,और गुलाब भी होगा आखिरी मेरा

तेरे होंठ लगे प्याले को,जाम बना के बैठा हूँ


तेरे बदन की खुशबू आज भी महकती है सांसों में

तेरे पहने हुए लिबास को अपने से लिपटाये बैठा हूँ


ऐ मेरे हमसफ़र,मुझको याद है तेरे संग का सफर

तू क्या जाने आज भी तुझको अपना मंजिल बनाये बैठा हूँ


तू मेरी आशिक़ी है,तू ही मेरी दिल्लगी है

ऐ मेरी ख्वाबों की परी आज भी तुझे दिल की रानी बना के बैठा हूँ


मैं तुझे आज भी दिल में बसा के बैठा हूँ

मैं तुझे आज भी दिल में बसा के बैठा हूँ।


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