दिल की लगी मुझे आती नहीं
दिल की लगी मुझे आती नहीं
दिल की लगी यारों मुझे आती नहीं
लगी है जो आग बुझानी आती नहीं
प्रेम की चिंगारी अब भड़कने लगी है
कमबख़्त बारिश आज क्यों आती नहीं
दीवाना हूँ मगर दीवानगी आती नहीं
उनके बगैर अब आवारगी आती नहीं
कोई रूठ कर चला जाए तो क्या करें
बिन बुलाए अब नाराजगी आती नहीं
बहुत जतन किए मगर वह आती नहीं
कोई ख़बर भी उनकी अब आती नहीं
हर करवट को बस इंतज़ार है किसी का
आँखें थक गई हैं मगर नींद आती नहीं
जिसकी तलाश है वह डगर आती नहीं
जाने क्यों जवानी की सहर आती नहीं
वफ़ा करके बेवफाई का खिताब मिला
सागर किनारे इश्क की लहर आती नहीं
मेरे शहर में अब वैसी शाम आती नहीं
कोई हिचकी अब हमारे नाम आती नहीं
उम्र गुज़ार दी इक अजनबी की चाहत में
ठंडी आहें भी अब कोई काम आती नहीं।