दिल की कलम से इश्क
दिल की कलम से इश्क
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दिल की कलम से इश्क रोशनी पर लिख दिया।
चांद का पैगाम था सो चांदनी पर लिख दिया।
चांद ने मुझसे कहा रोना प्रिए चकोरी व्यर्थ है।
पा न सके उस ख्वाब से प्यार का क्या अर्थ है।
मैंने कहा यह प्यार है यह खेल बच्चों का नहीं।
हो गया तो हो गया वापस ये कभी होता नहीं।
युग युग से प्यार मैं निष्ठुर तुझे ही करती रही।
तेरे लिए जीती रही और तुझ पर ही मरती रही
न तू कभी बदला है और न मैं ही बदल पाऊंगी।
हर जन्म में तुझ पे मरी इस जन्म भी मर जाऊंगी।
ये प्यार का अध्याय युग युग तक सुनाया जाएगा
चकोरी से चांद का अमर प्रणय गाया जाएगा।