दिल की बातें
दिल की बातें
🖤 दिल की बातें 🖤
(एक टूटा हुआ दिल... जो अब भी धड़कना चाहता है)
✍🏻 रचयिता: श्री हरि
🗓 तिथि: 17 जुलाई 2025
दिल में भरी पड़ी हैं —
बातें ही बातें।
दिल बहुत कुछ कहना चाहता है...
पर सुने कौन?
वो घुटता है —
अंदर ही अंदर,
पीड़ा में डूबा,
बनकर समंदर।
हर लहर में टीस,
हर मौन में मातम।
उफनता है भीतर —
पर बाहर...
बस मुस्कान की सतह।
खून के आँसू पीता है,
आँखों को सावन-सा भिगोता है।
टूट चुका है —
पर खुद को समेटे हुए है,
जैसे टूटे काँच पर
चुप्पी ओढ़े कोई तस्वीर।
कभी उसकी भी दीवाली थी...
जब वो आँखों से बतियाती थी,
साँसों से कविता कहती थी।
उसके स्पर्श से
रोम-रोम दीये-सा जल उठता था।
घंटों बातें होती थीं —
बिना एक शब्द कहे।
दिल, दिल से यूँ जुड़ता था
जैसे साज़ अपने सुर से।
कोई घड़ी नहीं चलती थी वहाँ —
बस धड़कनों की धुन बजती थी।
वो दिन…
वो पल...
जैसे सवेरा थामे हुए हो अँधेरा,
जैसे ख़ुशी को चूमती हो उदासी,
जैसे एक पूरा ब्रह्मांड —
सिमट आया हो
दो धड़कनों के बीच।
मगर आज...
न वो है,
न वो बातें।
वो प्यार...
न जाने कहाँ गुम हो गया।
बस यादें हैं —
रेत पर लिखे नाम की तरह,
जिन्हें लहरें
चुपचाप छीन ले गईं।
अब दिल बोलता नहीं,
और न ही धड़कता है —
बस उसकी यादों में जिंदा है,
जैसे बंजर ज़मीन में
कोई बीज...
जिंदा रहने की ज़िद करे।
(उपसंहार — फुसफुसाहट की तरह)
दिल की बातें
अब किताबों में नहीं,
बस तकिये के नीचे दबकर रह गई हैं।
कभी तुम लौटो,
तो कहना मत कुछ...
बस सीने पर हाथ रखना —
दिल सब कह देगा।
🌙✒️ भावों की आवाज़: श्री हरि
📅 17 जुलाई 2025

